Friday, 9 September 2011

जज्बा

 
बियाबान रात की चांदी

 एक चिराग होता है,

सुर्ख सपनों का ये आतिश

यकायक खाक होता  है

वो एक टीस, एक एहसास 

दिल को आबाद रखता है 

मंजिलें हैं अभी कुछ और

यही बस याद रहता है

फासलों के  परे जाज़िब 

कदम में चाप रखता है





 

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